जाजपुर

जाजपुर जिले का इतिहास ओडिशा 10 वी शताब्दी का है जब यह क्षेत्र जब यह क्षेत्र सोमवंशी राजवंश के राजा 'जाति केशरी' के शासन मे था| जाजपुर के नामकरण और सोमवंशी और भूमा राजवंश के शासनकाल के दौरान ऐतिहासिक महत्व के बारे मे बताता है| केसरी राजवंश के शासनकाल मे ओडिशा की शाही राजधानी थी| ऐसा मानते है कि सोमवंशी के राजा जाजति ने कभी इस क्षेत्र में 'दशस्वामेध' के नाम से एक प्रमुख 'यज्ञ' किया था। जाजपुर का उल्लेख भारत की बिभिन्न कथाओ मे 'बैतरनी तीर्थ' और 'विराज' भी शामिल है। 'अष्टपितामहात्म्य', 'तंत्रचिन्तामणि', ' ब्रह्माण्ड पुराण ', 'चैतन्य -चारितामृत ’इत्यादि। यह ‘शक्तिपीठो’ मे से एक भी है| जबकि अन्य विद्वानो के मत के अनुसार यह नाम जजतिपुरा से उत्पन्न हुआ था| प्राचीन काल मे जाजपुर को विराज या पार्वती खेत के नाम से पुकारा जाता था| कई बार इसे बैतरणी तीर्थ के रूप मे संदर्भित किया गया है जो भारत के प्रसिद्ध तीर्थो में से एक है|
चन्दीखोल चंडी मंदिर
चन्दीखोल भारत के ओडिशा के जाजापुर जिले का एक कस्बा है। स्वर्गीय भिक्षु बाबा भैरवानंद ब्रम्हचारी द्वारा इस स्थान का नाम रखा गया है, जिन्होने 1932 मे घने जंगल और खूँखार जानवरों से भरी बरुनी से सटे पहाड़ियों में से एक में माँ चंडी की देवता की स्थापना की थी।
अशोकझार
अशोकझार एक पर्यटक स्थल है जो सुकिंडा ब्लॉक मे स्थित है। निरेस्ट रेलवे स्टेशन सुकिंडा रोड है।
रत्नागिरी
ओडिशा के जाजपुर के रत्नागिरी गांव के उत्तरी शिखर पर निर्मित, रत्नागिरि मे पुरातत्व संग्रहालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक महत्वपूर्ण स्थल संग्रहालय है।
बिरजा पीठ
यह मंदिर 13 वी शताब्दी मे जाजपुर बस्ती मे स्थित जो भुवनेश्वर से लगभग 125 किलोमीटर उत्तर मे है। मुख्य मूर्ति देवी दुर्गा है जिनकी पूजा विराज नाम से की जाती है। जाजपुर को विराजक्षेत्र या बिरजा पीठ के नाम से भी जाना जाता है।
जाजपुर क्यों जाए
घने जंगल , सटे पहाड़ियो के लिए
जाजपुर के पर्यटन, दर्शनीय स्थल
- चण्डीखोल चण्डी मंदिर
- अशोकझार झरना
- रत्नागिरी
- बिरजा खेतड़ा